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गुरुवार, 26 जनवरी 2012

चर्चा मंच


ईश्वर ने मनुष्य को सबसे बड़ा उपहार दिया  वह है हँसी. अन्य प्राणियों को यह वरदान नहीं मिल पाया फिर क्यों न इस हँसी से ही दिन की शुरुवात की जाये. हँसना जरा मुश्किल काम तो है मगर उससे भी मुश्किल काम होता है ,दूसरों को हँसाना. सदा मुश्किल रास्तों पर मुस्कुराते हुए चलने वाले संदीप पवाँर (जाट देवता) कह रहे हैं मैं तो ब्लॉगिंग छोड रहा था अब झेलों और आँखें चार करो.

दीप्ति शर्मा जी ने भी कहा है ;सुबह की रोशनी की तरह मुस्कुराओ सदा,
नये साल की खुशी, गणतंत्र दिवस का उल्लास के साथ आखिर आ ही गया नव वसंत
 

सखी री नव वसन्त आया !

आदि पुरुष ने धरा वधू पर पिचकारी मारी ,
नीले पीले हरे रंग से रंग दी रे सारी ,
अरुण उषा से ले गुलाल मुखड़े पर बिखराया ,
वह सकुचाई संध्या के मिस अंग-अंग भरमाया !

साहित्य, संगीत एवं कला की देवी सरस्वती की अनुकम्पा जब किसी पर होती है तो कविता अनायास ही फूट पड़ती है :-
इस बासंती मौसम की जब बयार चलती है तो मन झूम उठता है और यादें कहने लगती हैं
पुरानी खुशी के साथ साथ  कुछ कसक भी लेकर आती हैं और तब  जीवन लगता है
           सपना
ना सच है ना झूठा है,
जीवन केवल सपना है।
बात तो शत प्रतिशत सच है कि
जीवन में जहाँ सतत साधना है वहाँ सम्मान भी है

 

4 टिप्‍पणियां:

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सादर-साभार

डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक

खटीमा (उत्तराखण्ड) 262308

सम्पर्कः 09368499921, 09997996437

आप मेरे निम्न ई-मेल पर भी सम्पर्क कर सकते हैं!

roopchandrashastri@gmail.com