ईश्वर ने मनुष्य को सबसे बड़ा उपहार दिया वह है हँसी. अन्य प्राणियों को यह वरदान नहीं मिल पाया फिर क्यों न इस हँसी से ही दिन की शुरुवात की जाये. हँसना जरा मुश्किल काम तो है मगर उससे भी मुश्किल काम होता है ,दूसरों को हँसाना. सदा मुश्किल रास्तों पर मुस्कुराते हुए चलने वाले संदीप पवाँर (जाट देवता) कह रहे हैं मैं तो ब्लॉगिंग छोड रहा था अब झेलों और आँखें चार करो.
दीप्ति शर्मा जी ने भी कहा है ;सुबह की रोशनी की तरह मुस्कुराओ सदा,
सखी री नव वसन्त आया !
आदि पुरुष ने धरा वधू पर पिचकारी मारी ,
नीले पीले हरे रंग से रंग दी रे सारी ,
अरुण उषा से ले गुलाल मुखड़े पर बिखराया ,
वह सकुचाई संध्या के मिस अंग-अंग भरमाया !
साहित्य, संगीत एवं कला की देवी सरस्वती की अनुकम्पा जब किसी पर होती है तो कविता अनायास ही फूट पड़ती है :-
इस बासंती मौसम की जब बयार चलती है तो मन झूम उठता है और यादें कहने लगती हैं
पुरानी खुशी के साथ साथ कुछ कसक भी लेकर आती हैं और तब जीवन लगता है
ना सच है ना झूठा है,
जीवन केवल सपना है।
जीवन केवल सपना है।
बात तो शत प्रतिशत सच है कि
आदरणीय अरुण कुमार निगम जी आप चर्चा करने में कुशल हैं।
जवाब देंहटाएंbahut badiya links ke sath sarthak charcha prastuti hetu aabhar!
जवाब देंहटाएंbahut hi sarthak abhinav prayas hai aapka yah...
haardik shubhkamnayen!
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